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सुनहरी हिरण- बनारस के जंगल में दो सुनहरे हिरण राजा—बड हिरण और ब्रांच हिरण—अपने-अपने झुंडों के साथ रहते थे। वहाँ का राजा ब्रहमदाता शिकार का शौकीन था, जिससे लोग परेशान थे। लोगों ने हिरणों को राज्य बाग में कैद कर दिया, ताकि राजा वहीं शिकार करें। हर दिन एक हिरण की बलि दी जाने लगी। एक दिन एक हिरणी, जिसका बच्चा छोटा था, ने अपनी जान बख्शने की गुज़ारिश की। राजा बड हिरण ने उसकी जगह खुद को पेश किया। उसकी निस्वार्थ भावना से प्रभावित होकर राजा ने सभी हिरणों और जानवरों को आज़ाद कर दिया।
सुनहरी हिरण-
बनारस के एक जंगल के किनारे एक खूबसूरत सुनहरी हिरण रहता था। उसे राजा बड हिरण कहा जाता था और वह करीब पांच सौ हिरणों के झुंड का राजा था। उसी जंगल में थोड़ी दूर पर एक राजा ब्रांच हिरण रहता था और वह भी करीब पांच सौ हिरणों का राजा था। वह बहुत सुंदर था और उसका रंग ऐसा लगता था जैसे कोई सुनहरा कोट हो और उसकी आंखंे भी चमचमाती रहती थी।
इस खूबसूरत जंगल के बाहर असली दुनिया में एक राजा था जिसे हर वक्त खाने में मांस चाहिए होता था। वह बनारस का ब्रहमदाता राजा था। ना सिर्फ उसे जानवरों का शिकार करने का शौक था बल्कि उस शिकार का मांस खाना भी उसे पसंद था। वह अपने राज्य के लोगों को उनका काम छोड़कर हर सुबह अपने साथ शिकार पर चलने के लिए कहता था।
कुछ समय बाद उसके गांव के लोग राजा की इस आदत से परेशान होने लगे क्योंकि उनके पास बहुत कुछ काम करने को होता था। काम के अलावा उन्हें अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को भी सुधारना था जो राजा के शिकार की वजह से खराब हो रही थी। उन सभी लोगों ने सोचा कि उन्हें कोई राह ढूंढनी पड़ेगी। उन सभी ने मिलकर एक प्लान बनाया।
उन सभी ने फैसला किया कि वह राज्य बाग के अंदर ही पौधे उगाएंगे और वहां पर खेती करेंगे और गड्ढों में पानी डालेंगे। इसके बाद वह इस बाग के अंदर हिरण लाकर छोड़ देंगे और गेट बंद कर देंगे। इस तरह राजा अपने खाली समय में शिकार कर लेंगे और उन्हें लोगों को शिकार पर ले जाने की ज़रूरत भी महसूस नहीं होगी।
तो सबसे पहले उन्होंने हिरणों के लिए राज्य बाग बनाना शुरू किया। फिर वह पास के जंगल में शस्त्र और डंडे लेकर गए ताकि वह ज़ोर से हिरणों को राज्य बाग में ले आए। उन्होंने दोनों झुंडों को यानि राजा बड हिरण के झुंड और राजा ब्रांच हिरण के झुंड को घेर लिया और उन्हें राज्य बाग में ले गए। उन्हें डंडे के दबाव से बाग में ले जाया गया। जैसे दोनों झुंड बाग में पहुंच गए तो गेट को बंद कर दिया गया और हिरणों को कैद कर लिया गया।
फिर वह लोग राजा के पास गए और उससे कहा कि क्योंकि वह अब राजा के साथ शिकार पर नहीं जा सकते इसलिए उन्होंने सफलतापूर्वक राज्य बाग में राजा के शौक के लिए हिरणों को कैद कर दिया है।
जब राजा हिरणों को देख रहे थे तो उनकी नज़र दो खूबसूरत सुनहरे हिरणों पर पड़ी और उन्होंने एक बार में फैसला कर लिया कि वह उनकी ज़िंदगी बख्श देगा। राजा ने हुक्म जारी किया कि कोई भी किसी कारण उन हिरणों को नहीं मारेगा। उसके बाद हर दिन राजा या फिर उनका शिकारी हिरण पर तीर मारता था। हिरण बचने के लिए हर मुमकिन दिशा में जाते थे लेकिन भीड़ की वजह से उन्हें चोट लग जाती थी। फिर एक दिन राजा बड़ हिरण और राजा ब्रांच हिरण ने अपने सिरों को एक साथ जोड़कर एक साजिश की। उन्होंने महसूस किया कि हर दिन उनके झुंड को चोटे लग रही थी और कुछ हिरण तो इसमें मर भी रहे थे। हालांकि मौत निश्चित थी लेकिन वह बाकी बचे हिरणों की जान बचाने की कोशिश करना चाहते थे ताकि वह उन्हें बेवजह दर्द से बचा सके।
इसलिए उन्होंने हर रोज़ अपने झुंड में से एक हिरण को राज्य दरबार में भेजने का फैसला किया जिसे राजा मार सके और उसे हर दिन हर समय राजा को परोसा जा सके। दोनों झुंडों के बीच में समझौता हुआ कि एक एक करके दोनों झुंडों के हिरण भेजे जाने लगे। इस तरह बाकी हिरण बेवजह की चोट से बचने लगे कुछ समय बीता। हर दिन एक हिरण को राज दरबार में मरने के लिए भेजा जाता था और उसे राज बावर्ची राजा के लिए बनाता थ। और बाकी हिरणों को शांति से तब तक रहने की इजाज़त दी गई जब तक उनकी जाने की बारी नहीं आती।
एक दिन बारी आई युवा हिरणी की उसके साथ उसका नवजात बच्चा था। वह राजा ब्रांच हिरण के समूह की थी। उसे डर था कि जब वह मर जाएगी तो उसके बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं होगा और उसका बच्चा अभी बहुत छोटा था और वह अपनी देखभाल भी नहीं कर सकता था। इसलिए वह राजा के पास गई कि वह उसकी जगह किसी और को भेज दे और जब उसका बच्चे थोड़ा बड़ा और समझदार हो जाएगा तो वह खुद मरने के लिए चली जाएगी।
लेकिन राजा ब्रांच हिरण ने उसकी गुजारिश नहीं सुनी और उसे कहा कि वह इसे किस्मत का फैसला समझे क्योंकि वह किसी और हिरण को उसकी जगह लेने के लिए नहीं कह सकता। हिरणी ने अपने बच्चे को देखा और उसकी राज दरबार में जाने की हिम्मत नहीं हुई। फिर उसने राजा बड हिरण को गुजारिश की और हिरण ने हिरणी को अपने बच्चे के साथ रहने के लिए कहा और उसे बताया कि वह उसकी जगह किसी और को भेज देंगे।
राजा बड हिरण खुद राज दरबार में गए और उन्होंने अपना सिर कटवाने के लिए रख दिया। राज बावर्ची उसे देखकर हैरान हो गया और उसे राजा के हुक्म की याद आ गई और वह राजा के पास भागते हुए गया और उसने राजा से पूछा कि अब क्या करना है। राजा नीचे आया और देखने लगा कि क्या हो रहा है। राजा बड हिरण को देखकर उसके पास गया और उससे आराम से पूछा कि वह यहा पर क्यों आया है। राजा बड हिरण ने हिरणी और उसके बच्चे की बात राजा को बताई और कहा कि वह किसी और को उसकी जगह नहीं भेज सकता था इसलिए उसने खुद मरने का फैसला लिया है। राजा हिरण के त्याग से काफी प्रभावित हुआ और खुश हुआ कि हिरण के राजा में प्यार की भावना है। इसलिए राजा ने ना सिर्फ उस हिरण की बल्कि हिरणी की जान बक्शने का फैसला लिया।
लेकिन राजा बड हिरण इससे संतुष्ट नहीं था। उसने राजा से कहा कि वह बाकी हिरणों की जान भी बक्श दे। फिर राजा ने उसकी इस इच्छा को पूरा कर दिया। फिर हिरण ने जंगल के सभी चार पैर वाले जानवर, पक्षी और नदियों में मछलियों को बक्शने की बात कही। राजा ब्रहमदाता ने सभी की ज़िंदगी बक्श दी।
राजा बड हिरण ने पूरे दिल से राजा ब्रहमदाता का शुक्रिया अदा किया और खुशी खुशी बाग में गया। दरवाज़े खोल दिए गए और दोनों झुंडों को आज़ाद कर दिया गया और तब सभी हिरण खुशी खुशी रहने लगे।
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